• theperfectindia2021@gmail.com
  • Bhopal, Madhya Pradesh
Real life heroes
26 नवंबर की वो रात, devika rotawan पर जख्म के निशान ना सिर्फ जिस्म पर बल्कि दिल पर भी है…

26 नवंबर की वो रात, devika rotawan पर जख्म के निशान ना सिर्फ जिस्म पर बल्कि दिल पर भी है…

0 0
Read Time:7 Minute, 25 Second

26/11 attack story: साल 2008 की 26 नवंबर ( 26/11 attack) की वो रात किसी के लिए भी भयानक सपने से कम नहीं है। हिंदूस्तान का हर शख्स आज भी उस जख्म को सीने में दबाए बैठा है। उस दिन हजारों लोग एक घटना से प्रभावित हुए थे। उनमें एक थी सिर्फ 9 साल की लड़की। इस हमले में उसने ना सिर्फ अपने पिता और भाई के साथ आतंकी हमले का सामना किया था, बल्कि पैर में एक गोली भी खाई थी। आतंकी द्वारा दिए गए उस जख्म के निशान उस मासूम के ना सिर्फ जिस्म पर बल्कि दिल पर भी है। हालांकि, हादसे का दर्द उस मासूम के हौंसले के साथ सिमटकर रह गया। वो मासूम बड़ी हुई और उसने बेबाकी से कोर्ट के सामने आतंकी की हर करतूत को उजागर किया और उस बयान के आधार पर आतंक का अंत हुआ।

devika-rotawan

आतंकी अजमल क़साब को पहचाना…

हम बात कर रहे हैं मुंबई की देविका रोटावन (Devika Rotawan) की। देविका 22 जनवरी 2023 को टीवी के मशहूर शो इंडियन आईडियल में बतौर गेस्ट पहुंची थीं। इस दौरान उन्होंने 26 नवंबर की उस तारीख का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि वह छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस रेलवे स्टेशन पर अपने पिता और भाई के साथ थी, भाई बाथरूम जाने का बोलकर चला गया। तभी दो पाकिस्तानी आतंकवादियों ने गोलियां चलायीं और एक गोली देविका के पैर में जाकर लगी, वह जोर-जोर से चिल्लाने लगीं, दर्द से उसकी चीखे निकाल पड़ी, तभी 9 साल की देविका ने आतंकी अजमल कसाब को देखा, जो अंधाधुंध गोलियां चलाए जा रहा था।

14 साल पहले चरमपंथी हमला …

2008 में 26/11 हमले के समय देविका की उम्र 9 साल थी। उनकी उम्र इस वक्त 24 साल है। उनके पिता और भाई को भी गोली लगी थी। लेकिन भगवान का शुक्र है कि तीनों जिंदा है, लेकिन अब घर चलाना मुश्किल हो गया है। देविका आतंकी अजमल क़साब को खिलाफ गबाही देने वाली सबसे कम उम्र की लड़की और हमलों की प्रत्यक्षदर्शी थी।

क्या है पूरा मामला…

14 साल पहले 26 नवंबर 2008 को लश्कर-ए-तैयबा के भारी हथियारों से लैस दस चरमपंथियों ने मुंबई की कई जगहों और प्रतिष्ठित इमारतों पर हमला कर दिया था, जो चार दिन तक चला। जिसमें 160 से अधिक लोग मारे गए थे। साल 2008 की 26 नवंबर की उस रात को एकाएक मुंबई गोलियों की आवाज़ से दहल उठी। हमलावरों ने मुंबई के दो पांच सितारा होटलों, एक हॉस्पिटल, रेलवे स्टेशनों और एक यहूदी केंद्र को निशाना बनाया। शुरू में किसी को अंदाज़ा नहीं था कि इतना बड़ा हमला हुआ है, लेकिन धीरे-धीरे इस हमले के पैमाने और संजीदगी का अनुमान होना शुरू हुआ। 26 नवंबर की रात में ही आतंकवाद निरोधक दस्ते के प्रमुख हेमंत करकरे समेत मुंबई पुलिस के कई आला अधिकारी भी इस हमले में अपनी जान गंवा बैठे।

आतंकवादी हमलों में बचने वाली सबसे कम उम्र की लड़की और हमलों की प्रत्यक्षदर्शी देविका रोटावन ने हाल ही में एक बार फिर से कोर्ट का रुख किया है। उन्होंने आवास आवंटन के अनुरोध को लेकर हाई कोर्ट का रुख किया है। महाराष्ट्र सरकार की तरफ से मकान की अर्जी खारिज किए जाने के बाद देविका ने हाईकोर्ट का रुख किया है। यह दूसरी बार है जब देविका रोटावन हाईकोर्ट पहुंची हैं। इससे पहले 2020 में उन्होंने इसी तरह की एक याचिका दाखिल की थी। अक्टूबर 2020 में हाई कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को देविका की याचिका पर गौर करने और इस बारे में आदेश जारी करने के निर्देश दिए थे। देविका की ओर से जुलाई 2022 में दाखिल की गई नई याचिका में कहा गया कि महाराष्ट्र सरकार ने उसकी अर्जी खारिज कर दी है, जिसके कारण वह हाईकोर्ट में दूसरी बार याचिका दाखिल कर रही हैं।

मिला था 13.26 लाख का मुआवजा:

देविका रोटावन की याचिका सुनवाई के लिए न्यायमूर्ति एस वी गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति एम एस कर्णिक की खंडपीठ के समक्ष आई। जहां महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सरकारी वकील ज्योति चव्हाण ने कहा कि अक्टूबर 2020 के आदेश के अनुपालन में देविका को 13.26 लाख रुपए मुआवजे के तौर पर दिए गए थे। केंद्र सरकार की ओर से पेश वकील आर बुबना ने कहा कि रोटावन को सरकार की नीति के अनुसार हमलों के बाद दस लाख रुपए मुआवजे के तौर पर दिए गए थे। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता अधिकार के तौर पर और मांग नहीं कर सकती।

घर का किराया नहीं दे पा रहीं…

अपनी याचिका में देविका ने कहा कि उनके पैर में गोली लगी है, साथ ही उनके पिता और भाई को भी चोटें आई हैं। उन्होंने कहा कि कई चोटों के कारण, उसके पिता और भाई के लिए आजीविका अर्जित करना संभव नहीं था। याचिका में यह भी कहा गया है कि वह और उसका परिवार गरीबी में रह रहे हैं और उन्हें बेघर कर दिया जाएगा, क्योंकि उन्होंने अपने घर का किराया नहीं दिया है।

देविका रोटावन ने अपनी याचिका में आगे कहा कि 26/11 अटैक के बाद कई केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों ने उनके घर का दौरा किया था और उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) कोटे के तहत आवास उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया था। देविका ने अपनी याचिका में दावा किया कि अधिकारियों ने उनकी शिक्षा, उनके और उनके परिवार के इलाज के लिए आर्थिक मदद की पर्याप्त व्यवस्था करने का भी आश्वासन दिया था, लेकिन उसे कोई मदद नहीं मिली।

Happy
Happy
0 %
Sad
Sad
0 %
Excited
Excited
0 %
Sleepy
Sleepy
0 %
Angry
Angry
0 %
Surprise
Surprise
0 %
0

Average Rating

5 Star
0%
4 Star
0%
3 Star
0%
2 Star
0%
1 Star
0%

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *