इनके हुनर का लोहा मानती है दुनिया, सब्जियों के हैं डॉक्टर
कहते हैं हुनर कभी पहचान की मोहताज नहीं होता है। जिसके पास हुनर होता है वो खुद-ब-खुद निखरकर सामने आ ही जाता है। हालांकि, एक सच यह भी है कि हुनर को संघर्ष की आग में तपना भी पड़ता है। संघर्ष की आग में तपकर ही हुनर का निखार बढ़ जाता है। ये प्रतिभा किसी भी क्षेत्र में हो सकती है। कोई गायकी का हुनर रखता है तो कोई खेल का। पर हुनर को सामने आने में समय लगता ही है।
ऐसा ही एक हुनर गुजरात में भी है। इस हुनर को परखने में दुनिया को समय लगा, परंतु जब यह हुनर परखा गया और निखर कर सामने आया तो ऐसे सामने आया कि उन्हें आम बोलचाल में भी डॉक्टर की उपाधि मिल गई। यह डॉक्टर किसी बीमारी का इलाज नहीं करते, बल्कि परीक्षण कर बीमारी बता देते हैं।
कंपनियां प्रति पौध उन्हें 10 रुपए भुगतान करती हैं ..
जी हां, गुजरात के मेहसाणा (Mehsana of Gujarat) के कल्पेशभाई पटेल को लोग पत्ता व फूल गोभी का डॉक्टर कहते हैं। वजह यह है कि उन्हें पत्ता व फूल गोभी के बीज परीक्षण करने में महारत हासिल है। 49 साल के कल्पेशभाई के बीज की गुणवत्ता परीक्षण के हुनर का लोहा माना जाता है।
कल्पेशभाई जिस बीज को अपने परीक्षण में विफल घोषित करते हैं, उनकी क्लाइंट कंपनियां उनका उत्पादन बंद कर देती हैं। वह 11 साल से यही काम करते हैं। उनके क्लाइंट में 15 बीज कंपनियां प्रति पौध उन्हें 10 रुपए के हिसाब से भुगतान करती हैं। वह दो वर्ष परीक्षण के बाद बीज गुणवत्ता के बारे में अपनी रिपोर्ट देते हैं। इसके लिए पहले स्वयं पौध तैयार कर उपज लेते हैं। 6 रंग फूल-पत्ता गोभी की उपज ले चुके हैं।
लाइब्रेरी साइंस की पढ़ाई, 22 की उम्र में पकड़ी ये राह
कप्लेशभाई प्रांतिज के रहने वाले हैं। कल्पेशभाई की बीज परीक्षण की विधा के चलते ही प्रांतिज पूरे गुजरात में अकेला ऐसा क्षेत्र हैं, जहां फूल-पत्ता गोभी का उत्पादन सबसे ज्यादा होता है। कल्पेशभाई की कर्मभूमि के चलते प्रांतिज को फूलगोभी की प्रयोगशाला भी कहा जाता है।
पिता जयंतीभाई पटेल से किसानी के गुर सीखने वाले कल्पेशभाई ने लाइब्रेरी साइंस की पढ़ाई की है। हालांकि, पढ़ाई पूरी होने के बाद ही पिता के साथ खेती करने लगे। फूल-पत्ता गोभी के विविध बीजों का परीक्षण करते हैं।