19 साल की लड़की के कर्मशील स्वभाव और निशानेबाजी के प्रति जज्बे की कहानी
दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो अवसाद से निकलकर संघर्ष करने और दृढ़ संकल्प से इतिहास रचते हैं। फिर चाहे जो मर्जी बाधाएं आएं, लेकिन मेहनतकश इंसान अपनी राह बना ही लेते हैं। 19 साल की एक लड़की की ऐसी ही सफल कहानी है जो अब दूसरों के लिए मिसाल बन गई है। 20 फरवरी 2012 का दिन एक 11 साल की लड़की की जिंदगी में तबाही लेकर आया। वह पिता के साथ जयपुर से धौलपुर जा रही थी और रास्ते में उनका एक्सीडेंट हो गया। पिता और बेटी दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। पिता कुछ दिनों बाद ठीक हो गए, लेकिन बेटी को तीन महीने हॉस्पिटल में बिताने पड़े और रीड की हड्डी में चोट के कारण वह खड़ी भी नहीं हो सकती थी। इसके बाद से वह व्हील चेयर पर ही है। एक होनहार लड़की निराश रहने लगी व डिप्रेशन का शिकार हो गई, उसने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया।
यह कहानी है भारत की अवनि लखेड़ा की, जिन्होंने तोक्यो पैरालिंपिक में भारत के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता है। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर राइफल स्टैंडिंग एसएच1 इवेंट में गोल्ड मेडल जीता। लेखारा ने फाइनल में 249.6 अंक हासिल किए।
ऐसे बदली जिंदगी…
अवनि के पिता प्रवीण लखेरा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि हादसे के पहले वह बहुत सक्रिय थी। हर गतिविधि में भाग लेती थी, लेकिन एक्सीडेंट के बाद वह खुद से ही नाराज रहने लगी और किसी से भी बात करना पसंद नहीं करती थी। हमारे लिए भी यह बहुत ही मुश्किल वक्त था। एक दिन पिता उसे जयपुर के जगतपुरा में स्थित जेडीए के शूटिंग रेंज में ले गए। इसके बाद उसकी थोड़ी-बहुत शूटिंग में दिलचस्पी पैदा हुई। फिर पिता ने एक दिन बेटी अवनि को शूटर अभिनव बिंद्रा की जीवनी पढ़ने को दी। इसके बाद अवनि ने शूटिंग में ही कैरियर बनाने का मन बना लिया।
2015 से वह रोजाना शूटिंग रेंज में जाने लगी, शुरुआत में अवनि को व्हीलचेयर चलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा जो कि मानदंडों के मुताबिक नहीं थी। इसके अलावा बंदूक और शूटिंग किट भी उपलब्ध नहीं थी। शूटिंग रेंज में कोच ने पूरा सहयोग दिया और उसने अच्छा प्रदर्शन करना शुरू कर दिया। अपने दृढ़ संकल्प के साथ, उसने खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया और राज्य स्तर पर स्वर्ण पदक और 2015 में राष्ट्रीय स्तर पर कांस्य पदक जीता।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्वीट किया, ‘टोक्यो पैरालंपिक में राज्य की अवनि लेखरा को स्वर्ण जीतने पर तीन करोड़ रुपए की राशि इनाम स्वरूप प्रदान की जाएगी।’ उन्होंने कहा, खिलाड़ियों को पहले से ही राज्य सरकार के वन विभाग में एसीएफ के पद पर नियुक्ति दी हुई है। राज्य के खिलाड़ियों ने पदक जीतकर देश-प्रदेश का नाम रोशन किया है, हमें उन पर बेहद गर्व है।’