सिक्योरिटी गार्ड पिता और 5वीं पास मां का बेटा ऐसे पहुंचा शिखर पर
दो बार असफलता हाथ लगी, लेकिन उसने हार नहीं मानी। एक पल के लिए भी ऐसा नहीं सोचा कि काश आरक्षण की श्रेणी में होता तो अब तक अफसर बन गया होता। दूसरी तरफ घर की आर्थिक स्थिति हमेशा पीछे हटने को मजबूर करती। फिर भी, मन में कुछ करने का जुनून था और यही वजह है कि सफलता को उनके कदम चूमने पड़े। 12वीं पास पिता सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करते और मां 5वीं पास थी, लेकिन उन्होंने बेटे को सिखाया कि अगर जीवन को कोई चीज बदल सकती है तो वो सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई है और इस बात को सच कर दिखाया उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गांव के रहने वाले कुलदीप द्विवेदी ने।
कुलदीप के पिता एक यूनिवर्सिटी में सिक्योरिटी गार्ड थे और हर महीने उन्हें 8 हजार रुपए मिलते थे। ऐसे में कुलदीप की पढ़ाई के लिए वह 1500 या 2000 रुपए तक की ही मदद कर पाते थे। कुलदीप ने इसे सिर्फ जीवन संघर्ष के रुप में लिया और अब सिविल सर्विसेस के अधिकारी पद तक पहुंच गए हैं।
किताब खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे…
कुलदीप यूपी के नागोहा जिले के शेखपुर गांव के निवासी हैं। अपने तीन भाई-बहनों में वह सबसे छोटे हैं। सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी में बेटे का पढ़ा पाना पिता के लिए मुश्किल तो था, लेकिन उन्होंने कभी उसे पढ़ाई करने से रोका नहीं। उनके पास किताब खरीदने तक के पैसे नहीं होते थे, फिर भी उन्होंने जैसे-तैसे हिंदी मीडियम से एमए की पढ़ाई की। यूपीएससी द्वारा आयोजित होनी वाली सिविल सर्विसेस की तैयारी के लिए वह दिल्ली पहुंच गए। वहां उन्होंने किराए पर एक कमरा लिया और फिर दोस्तों से किताबें मांग कर पढ़ाई जारी रखी।
कुलदीप दो बार परीक्षा में असफल भी रहे लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी तीसरे प्रसास में 2015 में 215 वीं रैंक के साथ उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा पास कर ली। अब वह भारतीय राजस्व सेवा में एक अधिकारी हैं।