MP की बेटी का जज्बा: पूरा परिवार बोल नहीं सकता, फिर भी हौंसला नहीं छोड़ा
मध्यप्रदेश में प्रतिभाओं की कमी नहीं है। प्रदेश के लोग दुनियाभर में राज्य का नाम रोशन कर रहे हैं। हाल ही में इटारसी के हॉकी प्लेयर विवेक ने ओलंपिक में प्रदेश को गौरवान्वित किया तो वहीं अब इंदौर की मूक-बधिर छात्रा वर्षा डोंगरे ने एक ऐसा काम करने का जज्बा दिखाया जो समाज के लिए प्रेरणादायक है। दरअसल, आगरा में आयोजित सामान्य प्रतियोगियों की ‘स्टार लाइन मिस इंडिया कांटेस्ट’ में मिस इंडिया का अवॉर्ड हासिल करने वाली वर्षा डोंगरे ने अब मानव सेवा के लिए अंगदान करने की घोषणा की है।
पूरा परिवार मूक-बधिर हैं…
वर्षा का परिवार पहले खंडवा में रहता था, लेकिन कुछ समय पहले ही पूरा परिवार इंदौर शिफ्ट हो गया। वर्षा के परिवार के सभी लोग माता-पिता, छोटी बहन और चाचा भी मूक-बधिर हैं। कोई भी बोल नहीं सकता। वर्षा के पिता अब इस दुनिया में नहीं रहे, लेकिन उनका सपना था कि बच्चे जिंदगी में कुछ अच्छा काम करें। जिसे अव वर्षा पूरा कर रही हैं। वर्षा इस साल बीकाम सेकेंड ईयर में हैं और मिस यूनिवर्स की तैयारी कर रही हैं।
हाल ही में ‘विश्व अंगदान दिवस’ के मौके पर आयोजित वेबिनॉर में वर्षा डोंगरे ने मृत्यु पश्चात अंगदान देने की घोषणा की है। वर्षा के साथ देशभर के 200 मूक-बधिरों ने भी मृत्यु पश्चात अंगदान की शपथ ली है। वर्षा ने विधिवत अंगदान फॉर्म भी भर दिया, जबकि 200 मूक-बधिर शपथ के बाद अपने-अपने राज्यों में प्रक्रिया पूरा करेंगे। देशभर में यह पहला मौका है, जब किसी दिव्यांग मिस इंडिया अवॉर्डी समेत 200 मूक बधिरों ने अंगदान का संकल्प लिया है। वर्षा कहना है, भले ही मैं मूक-बधिर हूं, लेकिन मेरी मौत के बाद मेरी किडनी, आंखें व अन्य अंग किसी के काम आ सकें, इससे बड़ी दौलत मेरे लिए और कुछ नहीं हो सकती।
13 अगस्त को ‘विश्व अंगदान दिवस’ पर अंग प्रत्यारोपण से जुड़े मोहन फाउंडेशन, रोटरी क्लब ऑफ आदर्श, आनंद सर्विस सोसायटी (इंदौर) व पहल फाउंडेशन द्वारा वेबिनार आयोजित की गई। वेबिनॉर में मूक-बधिरों के हितों, उपलब्धियों और उनकी बेहतरी को लेकर एक्सपर्टस ने विचार रखे। इसमें देशभर के मूक-बधिर संगठनों ने हिस्सा लिया। इनमें इंदौर की आनंद सर्विस सोसायटी भी थी। इंदौर से ‘मिस इंडिया अवॉर्डी’ वर्षा डोंगरे भी इसमें शामिल थीं।
खास बात है, इसमें महाराष्ट्र के 110 मूक-बधिर हैं। संस्था आनंद सर्विस सोसायटी के डायरेक्टर ज्ञानेंद्र पुरोहित व मोनिका पुरोहित ने बताया, इसके पूर्व कहीं भी मूक-बधिरों द्वारा अंगदान के मामले नहीं हुए हैं। कुछ समय पहले इंदौर के सुरेंद्र मोरे नामक एक मूक-बधिर की मृत्यु के बाद उनकी इच्छानुसार उनकी आंखें दान की गई थीं।