एक ऐसा गांव, जहां किसी भी घर के ऊपर फर्स्ट फ्लोर नहीं है
चंडीगढ़ से 10 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐसा गांव है, जहां किसी भी घर के ऊपर फर्स्ट फ्लोर नहीं है। ऐसी धारणा है कि अगर कभी कोई यहां पर फर्स्ट फ्लोर बनाने की कोशिश भी करता है तो उसके साथ कोई न कोई अनहोनी होती ही है। theperfectindia.com ने इस गांव में पहुंचकर सच्चाई जानी तो पता चला कि पूरा गांव देवी के श्राप से डरता है।
क्या है मामला …
- गांव की पहाड़ी पर माता जयंती देवी का मंदिर है और इसी पर इसका नाम पड़ा जयंती माजरी गांव। इस गांव में फर्स्ट फ्लोर नहीं बनने की पीछे इस मंदिर की देवी द्वारा दिया गया श्राप है। देवी ने श्राप में कहा कि अब मुझसे नीचे ही रहो, झुक कर ही रहो।
- बताया जाता है कि तीन साल पहले गांव में स्थित एक सरकारी स्कूल में फर्स्ट फ्लोर बनाने की कोशिश की गई थी, लेकिन जैसे ही काम शुरू हुआ एक शख्स की करंट लगने से मौत हो गई।
- मंदिर के पुजारी देवेंद्र शर्मा ने बताया कि यहां पर पूजा करते हुए उनकी ये 9वीं पीढ़ी है। उन्होंने बताया कि ये मंदिर मुगलों के समय से बना हुआ और लगभग 600 साल पुराना है। यह गांव हथनौर रियासत के अंतर्गत आता है। इस रियासत की बहू बनने वाली कांगड़ा के राजा की पुत्री ने माता रानी जयंती जी की पिंडी स्थापित करके इसे बनवाया था।
- इस गांव में लगभग 150 घर हैं और इसकी आबादी 900 के लगभग है। यहां सभी मकान लगभग आज के समय के मुताबिक पक्के बने हुए हैं। गांव में कुछ नए मकानों का निर्माण चल रहा है, लेकिन वे भी घर की फर्स्ट फ्लोर नहीं बना रहे हैं।
इस वक़्त माता रानी जी की सेवा में पुश्तैनी पुजारियों की आठवीं पीढ़ी कार्यरत है। मंदिर में आज भी कांगड़ा से मां जयंती जी की सवारी में साथ आया नगाड़ा दर्शनीय है। मंदिर में माता जयंती जी तीन स्वरूप में विद्यमान है। सावन मास मेले की तरह मनाया जाता और भक्तों के लिए मॉल पुढे व खीर परोसी जाती है। जलेबी छोटे पूरी के लंगर भी लगाए जाते हैं। माता जी के दोनों नवरात्री मेलों के आलावा माघ 14 पूर्णिमा का मेला तीन दिवस भरता है अटूट लंगर आदि लगते हैं। भक्तजन चाय पकौड़े के लंगर रास्ते भर में सजाते हैं।