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घर से भाग कर रेलवे स्टेशन पर कूड़ा बीनने का काम करना पड़ा, फिर ऐसे बदल गई इस शख्स की जिंदगी

घर से भाग कर रेलवे स्टेशन पर कूड़ा बीनने का काम करना पड़ा, फिर ऐसे बदल गई इस शख्स की जिंदगी

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कहते हैं कि जहां चाह, वहां राह, क्योंकि जिनके इरादे मजबूत होते हैं उनका रास्ता कठिन से कठिन परिस्थितियां भी रोक नहीं सकती। जिंदगी में जिनके पास खोने को कुछ नहीं है, उनके पास पाने के लिए पूरी दुनिया होती है। कोलकाता के एक फोटोग्राफऱ (Photographer) इसका सबसे सटीक उदाहरण है। जी हां, हम बात कर रहे हैं, 2016 में फोर्ब्स एशिया (Forbes Asia) की सूची में टॉप 30 में शामिल विक्की रॉय (vicky roy) की।

विक्की रॉय की लाइफ

विक्की के पिता आर्थिक रूप से स्थिर नहीं थे, वह पश्चिम बंगाल के पुरुलिया नाम के एक छोटे से शहर से ताल्लुक रखते थे। उनके पिता प्रतिदिन 15 से 20 रुपए कमाते थे और वह अपने बेटे की शिक्षा का खर्च नहीं उठा सकते थे। अपने बेटे को उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरी करने और तुलनात्मक रूप से बेहतर जीवन देने के सपने के साथ, उसके पिता ने विक्की को उसके नाना-नानी के साथ रहने के लिए भेजा। लेकिन उसके पिता की सोच के बिल्कुल विपरीत जीवन विक्की को मिला, वहां से वह अपने स्कूल गया, घर लौटा और घर का काम किया, लेकिन उसके पास वह जीवन नहीं था जो उसके पिता चाहते थे कि वह वहां रहे। उसे छोटी-छोटी बातों के लिए पीटा जाता था। उस पर जो रोज़-रोज़ प्रताड़ित किया जा रहा था, प्रताड़ना से तंग आकर एक दिन उसने अपने मामा की जेब से कुछ पैसे चुरा लिए और ट्रेन में सवार होकर दिल्ली चला गया। एक बार जब वह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचे,तो प्लेटफॉर्म पर लोगों की भीड़ से डर और सदमे से वह स्टेशन पहुंचकर फूट-फूट कर रोने लगा। विक्की को रोता देख स्टेशन पर कुछ बच्चों ने उसे दिलासा दिया और उसे अपना हिस्सा बना लिया। और अपने साथ काम करने के लिए विक्की को भी साथ ले लिया। विक्की अब नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कूड़ा बीनने का काम करने लगा। उन्होंने जल्द ही उनके साथ काम करना शुरू कर दिया, पानी की बोतलें इकट्ठा करना, उन्हें धोना, उन्हें फिर से भरना और फिर सामान्य डिब्बों में बेचना।

इन बच्चों के पास खाने के लिए ट्रेन की पैंट्री से बचा हुआ खाना था, लेकिन जल्द ही विक्की को एहसास हुआ कि यह जीवन उसके लिए नहीं है, क्योंकि यहां बच्चों को प्रताड़ित किया जाता था और उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाता था। उनके द्वारा कमाए पैसों को गुंडों उनसे छीन लेते थे।

ढाबे पर नौकरी की …

इसके बाद विक्की ने अजमेरी गेट के एक छोटे से ढाबे में नौकरी की, जहां वह डिशवॉशर के रूप में कार्यरत था। एक दिन, भोजन करने आए एक युवक ने उससे पूछा कि जब उसे अपनी पढ़ाई पूरी करनी थी और जीवन में बड़ी चीजें हासिल करनी थी, तो उसने काम क्यों किया। विक्की की स्थितियों के बारे में जानने पर, युवक ने उसे दिल्ली के सलाम बालक ट्रस्ट में दाखिला कर दिया, जो एक गैर सरकारी संगठन है और बच्चों का पोषण करती है। विक्की रॉय ने अपनी शिक्षा 6वीं कक्षा से शुरू की और 10 वीं कक्षा तक ही पढ़ाई कर सके। उनके शिक्षक ने सुझाव दिया कि वे एक व्यावसायिक कैरियर पर विचार करें क्योंकि उनकी शिक्षा पर्याप्त नहीं थी। उन्होंने फोटोग्राफी की, जिसके लिए उनके भरोसे ने उन्हें 499 रुपए में एक प्लास्टिक कैमरा दिलवाया। उसने 5 रुपए में अपने दोस्तों की तस्वीरें क्लिक करना शुरू कर दिया। बड़े सपने और एक कैमरा, इस तरह उन्होंने एक फोटोग्राफर के रूप में अपनी यात्रा शुरू की।

ट्रस्ट ने उन्हें दिल्ली के एक प्रसिद्ध फोटोग्राफर अनय मान के यहां नौकरी दिलाने में भी मदद की थी। उन्होंने उसके लिए 3000 रुपए प्रति माह पर काम किया और खुद के लिए एक अच्छा कैमरा खरीदने के लिए ट्रस्ट से 28000 रुपए का कर्ज लिया। इतना ही नहीं, इस मेहनती और प्रेरक व्यक्ति ने कर्ज चुकाने के लिए एक वेटर के रुप में काम भी किया। उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और उनकी पहली फोटोग्राफी प्रदर्शनी 2007 में इंडियन हैबिटेट सेंटर में प्रस्तुत की गई। प्रदर्शनी को स्ट्रीट ड्रीम्स कहा जाता था, और इसने उन्हें अपार सफलता दिलाई। इसे लंदन, दक्षिण अफ्रीका और वियतनाम में भी प्रस्तुत किया गया था। अगले साल उन्हें एक प्रसिद्ध प्रतियोगिता में शीर्ष चार फाइनलिस्ट में चुना गया, जिससे उन्हें वर्ल्ड ट्रेड सेंटर के पुनर्निर्माण की शूटिंग करने का मौका मिला। नज़र फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित उनका पहला मोनोग्राफ ‘होम स्ट्रीट होम’ दिल्ली फोटो फेस्टिवल (सितंबर-अक्टूबर, 2013) के दूसरे संस्करण में जारी किया गया था और उन्हें 2014 में एमआईटी मीडिया फैलोशिप से सम्मानित किया गया था।

न्यूयॉर्क में वृत्तचित्र फोटोग्राफी में बेहतर तकनीक सीखने के बाद, वे भारत वापस आ गए और सलाम बालक ट्रस्ट द्वारा उन्हें स्वर्ण पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके बाद उन्हें बकिंघम पैलेस में प्रिंस एडवर्ड के साथ लंच पर बुलाया गया। उन्होंने नेशनल ज्योग्राफिक जैसे कई प्रसिद्ध चैनलों के लिए भी काम किया है और उन्हें Google मुख्यालय, फेसबुक मुख्यालय, हार्वर्ड, व्हाइट हाउस और पेंटागन में प्रेरक भाषण देने के लिए भी आमंत्रित किया गया था। Image Source – Facebook

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