10वीं पास किसान ने 50 हजार रुपए से शुरू किया मशरूम उगाने का काम, अब लाखों में है कमाई
- यू-ट्यूब के जरिये विदेशी तर्ज पर बनवाई मशीन, 1500 किलो स्पॉन किया जाता है हर साल तैयार
कुरुक्षेत्र : कहते हैं मेहनतकश आदमी अपनी राह खुद ही बना लेते हैं। मेहनत ही बुलंदियों के शिखर पर पहुंचाती है। ऐसा ही उदाहरण हैं गांव भौर सैंयदा के किसान हरपाल सिंह बाजवा। 10वीं पास किसान हरपाल सिंह ने 50 हजार रुपए से मशरूम उत्पादन का काम शुरू किया। आज वे लाखों रुपये कमा रहे हैं। खुंभ फार्म में वैज्ञानिक तरीके से स्पॉन मेकिंग (मशरूम का बीज तैयार करने की एक विशेष विधि, जिसमें उसे एक निश्चित तापमान पर रखा जाता है) में महारत हासिल की है। वैज्ञानिक तरीके से हर साल हर साल 1500 किलो स्पॉन तैयार कर रहे हैं। हरपाल ने खेत में ही मशरूम लैब बनाकर किसानों के लिए स्वरोजगार के दरवाजे खोल दिए हैं।
उन्होंने अपने आप को मशरूम उत्पादन तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि मशरूम के लिए कंपोस्ट मेकिंग और स्पॉन (बीज) प्रोडक्शन में महारत हासिल की है। उन्होंने 10वीं पास होते हुए भी वैज्ञानिक तरीके से स्पॉन (बीज) मेकिंग के लिए एक लैब तैयार की है। मात्र आधा एकड़ से मशरूम उत्पादन करने वाले बाजवा आज लगभग 3 एकड़ में मशरूम उत्पादन और व्यवसाय कर रहे हैं। वे हरियाणा के किसानों के लिए रोल मॉडल से कम नहीं हैं। वे आज मशरूम उत्पादन से 20 लाख रुपए सालाना कमा रहे हैं।
हरपाल सिंह बाजवा बताते हैं कि पहले वे परंपरागत खेती करते थे। वर्ष 1995 में मात्र 50 हजार रुपए से मशरूम उगाना शुरू किया। धीरे-धीरे मुनाफा हुआ तो इस तरफ ध्यान बढ़ा। कृषि विज्ञान केंद्र कुरुक्षेत्र और खुंब अनुसंधान निदेशालय सोलन के सहयोग से अत्याधुनिक तकनीक की जानकारी ली और अपनी जमीन पर ही मशरूम के लिए कंपोस्ट बनाना शुरू कर दिया। किसानों ने कंपोस्ट खरीदना शुरू कर दिया तो इसके लिए सोलन से बीज लाना पड़ता था।
बीज की आवश्यकता बढ़ने पर बनाई स्पॉन लैब
बीज की आवश्यकता बढ़ी तो एक अत्याधुनिक स्पॉन (मशरूम का बीज तैयार करने की एक विशेष विधि, जिसमें ) लैब लगाने का मन बनाया और अपने खेत में ही स्पॉन लैब लगा दी। इसके लिए हरियाणा सरकार के बागवानी विभाग ने सब्सिडी दी और बैंक से 62 लाख रुपये का लोन लिया। वे मशरूम उत्पादन, कंपोस्ट मेकिंग और स्पॉन प्रोडक्शन से लाखों रुपए कमा रहे हैं।
ये मिल चुके हैं सम्मान
प्रगतिशील किसान हरपाल सिंह को जिला स्तर से लेकर मुख्यमंत्री और कृषि विश्वविद्यालय की ओर से सम्मानित किया जा पचुका है। हरपाल को पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा से भी सम्मानित हो चुके हैं। इसके साथ-साथ 3 बार हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय और खुंब अनुसंधान निदेशालय सोलन ने भी उन्हें सम्मानित किया है।
- यू-ट्यूब के जरिये विदेशी तर्ज पर बनवाई मशीन हरपाल सिंह बाजवा बताते हैं कि उन्होंने इस क्षेत्र में अधिक से अधिक आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया है। अपने यहां कुछ मशीनों को विदेशों की तर्ज पर बनवाया है।
उन्होंने यू-ट्यूब से मशीनें देख-देखकर लाखों रुपये की मशीनें हजारों रुपए में तैयार करवाई है। कंपोस्ट मिलाने के लिए कंपोस्ट फिलिंग मशीन, कंपोस्ट बैग भरने के लिए कंपोस्ट बैग फिलिंग मशीन अपने यहां ही तैयार कराई है। अमूमन मशरूम सर्दियों में उगाई जाती है, लेकिन स्पॉन मेकिंग लैब में उन्होंने अमेरिका के पेनसिलवेनिया से स्पॉन मंगाकर मशरूम का ऐसा बीज मंगाया है, जिससे अब किसान 30-35 डिग्री में भी मशरूम उगा सकते हैं। इस तकनीक का फायदा उठाने के लिए अधिक से अधिक किसान उनसे संपर्क कर रहे हैं।
ऐसे तैयार होता है मशरूम का बीज
किसान हरपाल सिंह का कहना है कि मशरूम का बीज वैज्ञानिक तरीके से तैयार किया जाता है। इन बीजों को बोतल या पॉलिथिन की थैलियों में 250 या 500 ग्राम/बोतल या थैली भरते है। थैली के मुंह पर पहले लोहे का छल्ला लगाते हैं फिर उसमें रूई की डाट लगाते हैं। बोतल या थैली को जीवाणुविहीन करने के लिए आटोक्लेव/कुकुर में 22 पौंड दाब/वर्ग इंच पर 2 घंटे रखते है। ठंडा होने पर माध्यम में मशरूम बीज (स्पान) मिलाते हैं। यह कार्य जीवाणुविहीन कक्ष में किया जाता है। मशरूम फफूंद की वृद्धि इन दानों पर 15-20 दिनों में हो जाती है और फफूंद के क्वकजाल द्वारा सम्पूर्ण दाने ढक लिए जाते हैं, इसे मशरूम का बीज (मदर स्पान) कहते है। इस प्रकार तैयार बोतलों से बीज दूसरी बोतल में मिलाया जाता है तब इसे प्रथम संतति स्पान कहते हैं।
हरपाल सिंह बाजवा को पिछले साल 2020 में 100% जैविक और उच्च गुणवत्ता वाले मशरूम उगाते हुए 25 साल पूरे हो गए हैं और निरंतर यह कार्य जारी है।